अमृत कलश

Thursday, January 5, 2012

अद्भुद साहसी भागीरथ(प्रथम भाग )

त्रेता युग इक्षवाकु वंश
बहुत विख्यात हुआ 
सगर नाम जिनमे थे राजा
यह ग्रंथों से ज्ञात हुआ 
परम प्रातापी,रूप शील ,
गुण अगर ,धीरवृती ज्ञानी 
थे राजा ,दो रानी जिनकी 
पति व्रता सब गुण कहानी 
पुत्र न कोइ था उनके 
राजा इससे चिंतित रहते 
सदा शोक में रहते 
दुःख की ज्वाला सहते 
ऋषि मुनियों ने कहा -
नृपति तुम शंकर जी का ध्यान धरो 
कठिन तपस्या में रत रह कर 
तुम उनका आव्हाहन करो 
आसुतोष थे अवधार दानी 
इच्छा पूरण कर देंगे 
दोनो कल्याणी रानी की 
सूनी  गोदी भर देगी 
राजा रानी सहित गए कैलाश 
महान तप किया वहाँ
हुए प्रसन्न भूत भावन तब 
दर्शन दे कृत कृत्य किया 
हो कर के प्रसन्न भक्ति से 
राजा को वर तुरंत दिया |
किरण 




2 comments:

  1. दिलचस्प कहानी लग रही है ! अगली कड़ी की प्रतीक्षा रहेगी !

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